सफ़र की शुरुआत
कुछ वर्ष पहले, अचानक हुआ कुछ ऐसा
मैं एक बच्चा, बड़ा बन गया:
एक ही क्षण में, मेरे जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो गया!
मेरा हुआ साक्षात्कार पहली बार दुनियादारी से, देखता हूँ
एक हलवाहा अपने घोड़ों के साथ
है पसीने से तरबतर, खड़ा पहाड़ी की चोटी पर
नदियों की उपजाऊ भूमि, आयी नहीं रास उसे
लक्ष्य था उसका, पहाड़ को हल से जोतना
और वह चुनता है एक चट्टान को, हल चलाने के लिए
चुनता है दुष्कर कार्य, अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए
हवा भी न जाने कहीं खो सी गयी है
और उससे ऊपर, काली पहाड़ी की चोटी
अब बस प्रतीक्षारत है।
- यदि उसमें हिम्मत है, तो वह लक्ष्य पर आगे बढ़े!